Cosmic Dance Of Shiva at CERN in hindi। (Cern Nataraja )

नमस्कार दोस्तों क्या  आप जानते है परमाणु अनुसंधान संगठन CERN में भगवान नटराज की मूर्ति स्थापित है। किंतु ऐसा क्यों आज के ब्लॉग में हम इसी विषय बात करेंगे । आज के ब्लॉग में हम जानेंगे की भगवान राज की मूर्ति CERN में क्यों
स्थापित है?? इस मूर्ति का वैज्ञानिक आधार क्या है?? आखिर क्यों नटराज के नृत्य को ब्रह्मांडिय नृत्य कहते हैं??

●नटराज (Nataraja) -

नटराज भगवान शिव का एक रूप है। नटराज 2 शब्दों से मिलकर बना है - नट+राज नट का अर्थ कला होता है अर्थात शिव का यह रूप कलाओं पर राज करने वाला है।

विश्व का सबसे बड़ा परमाणु अनुसंधान संगठन "सर्न"[ CERN ] दुनिया की सबसे बड़ी कण भौतिकी प्रयोगशाला है जो स्विट्जरलैंड के जेनेवा में स्थित है। यहाँ नटराज की एक  मूर्ति सन 2004  से स्थापित  है  और उस मूर्ति के बगल में एक तख्ती है जिसमें अमेरिका के जाने-माने वैज्ञानिक फ्रिटजॉफ कैप्ररा के बेस्टसेलर "द ताओ ऑफ फिजिक्स"  का एक वाक्य लिखा  हैं। 

किन्तु ऐसा क्या विज्ञान छुपा है इस मूर्ति में जो इसे 
वहाँ स्थापित किया गया है?
              
              आधुनिक भौतिक वैज्ञानिको  के लिए शिव का नृत्य  अवपरमाणविक पदार्थ (Subatomic Particles ) का नृत्य है।20 वीं शताब्दी की शुरुआत में अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने सापेक्षता के सिद्धांत को प्रतिपादित किया, यह मान लिया गया था कि पदार्थ  को अंततः अविभाज्य अविनाशी भागों में तोड़ा जा सकता है। लेकिन जब उच्च-ऊर्जा प्रयोगों में व्यक्तिगत उप-परमाणु कणों को एक-दूसरे के खिलाफ तोड़ा गया, तो वे छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर नहीं पाए। इसके बजाय, वे केवल गतिज ऊर्जा या गति की ऊर्जा का उपयोग करके नए कणों को बनाने के लिए खुद को फिर से व्यवस्थित करते हैं  अपने आप को नष्ट करना और पुनः सृजित करना ब्रह्मांडीय चक्र कहलाता है जो की 'क्लासिकल फिजिक्स' के सिद्धांतो के विपरीत है । सृजन और विनाश का यह ब्रह्मांडीय चक्र नटराज की मूर्ति में भी दिखता है। 


     
   "आधुनिक भौतिक विज्ञानी के लिए, शिव का नृत्य अवपरमाणु पदार्थ का नृत्य है ”
                                                                                                 - फ्रिटजॉफ कैप्ररा
         
    इतना ही नहीं नटराज की मूर्ति अलग अलग कई चीज़े दर्शाती हैं। नटराज की मूर्ति में नटराज की बायीं भुजा में डमरू होता है, जिसके स्पंदन ब्रह्मांड का निर्माण करते हैं , उठे हुए, पीछे के दाहिने हाथ में आग होती है जो ये बताती है  की ये यह परिवर्तन की आग है, विनाश की नहीं। खुली हथेली एक आश्वासन को इंगित करती है की  निरंतर ब्रह्मांडीय परिवर्तनों  के बारे में डरने की कोई बात नहीं है ये परिवर्तन सामान्य है और मैं आपकी रक्षा के लिए यहां हूं। नीचे की ओर छिपी हुई बाईं हथेली कहती है कि वह माया , भ्रम या अज्ञानता का पर्दा है,बायें हाथ से उठाया हुआ पैर, साधक के समक्ष उपलब्ध विकल्प को दर्शाता है (मुयालका) नटराज के चरणों में यह बौना दानव अज्ञानता और अहंकार की बुराइयों का प्रतिनिधित्व करता है नटराज के चारों ओर का फ्रेम माया, भ्रम है, जैसा कि जन्म और मृत्यु की चक्रीय घटना के माध्यम से अनुभव किया गया है।
इस मूर्ति में  पंचतत्वों को भी  दिखाया गया है। शिव के उड़ते बाल वायु, गंगा जल को , चन्द्रमा आकाश, अग्नि अग्नि को तथा गोल मुख पृथ्वी को दर्शाता है।

वाकई बहुत कुछ है हमारे धर्म ग्रंथों में लेकिन पढ़ने की फुर्सत कहां????   

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