विद्युत आवेश क्या होता है | आवेश के प्रकार और गुण धर्म

आवेश क्या होता है,आवेश क्या है,आवेश के खोज की कहानी, प्रकार और गुण धर्म,वैद्युत बल,कूलाम का नियम,



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आवेश के गुण ( vidyut aavesh ke gun)

मारी भौतिकी में बहुत सारे टॉपिक्स ऐसे हैं जिनका प्रयोग तो हमेशा ही होता है किंतु यदि उनकी एक स्पष्ट परिभाषा पूछी जाए तो वह हमारे पास नहीं है जैसे द्रव्य लंबाई आदि और इन्हीं की भांति द्रव्य का एक और गुण होता है जिसे हम आवेश कहते हैं आवेश को हम न तो देख सकते हैं  ना उसे छू सकते हैं  तो क्या आपने कभी सोचा है कि   

आखिरकार आवेश अस्तित्व में आया कैसे??
आखिर आवेश की आवश्यकता क्यों पड़ी??

    वैसे तो 600 बीसी से ही ग्रीक में लोगो ( मुख्यतः दार्शनिक थेल्स) ने देखा कि एक नारंगी पत्थर जिसेेे अंबर कहते है को जब सिल्क या ऊनी कपड़े में रगड़ा जाता था तो वह हल्की वस्तुओं को अपनी और आकर्षित कर लेता था। किंतु उस समय किसी को नहीं पता था कि आखिर ऐसा क्यों ??

         सन 1776 ईस्वी में मशहूर वैज्ञानिक चार्ल्स ऑगस्टिन दी कूलाम ने अपने प्रयोग शुरू किए उन्होंने पाया की जब दो इलेक्ट्रॉन को 1 सेंटीमीटर की दूरी पर रखा जाता है तो उनके बीच लगने वाला बल गुरुत्वाकर्षण बल से कहीं गुना अधिक होता है यही प्रकृति दो प्रोटॉन को इसी प्रकार रखने पर भी दिखाई देती है। जबकि दो न्यूट्रॉन ओं को इसी प्रकार व्यवस्थित करने पर उत्पन्न बल गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर ही था।

तो आखिर यह अतिरिक्त बल आया कहां से??
आखिर न्यूट्रॉन में यह अतिरिक्त बल क्यों ना था??

● विद्युत आवेश क्या होता है ( Aavesh kya hai ) ?

जैसा कि हम सब जानते हैं कि ब्रह्माण्ड में उपस्थित सभी वस्तुए एक दूसरे को गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा आकर्षित करती है। गुरुत्वाकर्षण बल किसी वस्तु के द्रव्यमान के कारण उत्पन्न होती है किन्तु जैसा की मैंने अभी ऊपर बताया है वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग में  पाया कि मूल कणों के बीच इस गुरुत्वाकर्षण बल के अतिरिक्त भी कोई बल  उपास्थित  है जो की गुरुत्वाकर्षण  अधिक था । 

       यह अतिरिक्त बल ही वैधुत बल होता है तथा जिस प्रकार ग्रेविटी , द्रव्यमान के कारण उत्पन्न होती है उसी प्रकार इस अतिरिक्त बल कारण आवेश है। वैद्युत आवेश की हम कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दे सकते फिर भी आवेश द्रव्य  का वह गुण  है जिसके कारण  वैधुत तथा चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न होता है। यह तो कहानी थी आवेश के खोज की अब हम आवेश के प्रकार और आवेश के  गुण धर्म के बारे में जानेंगे।



● आवेश के प्रकार

आवेश दो प्रकार के होते हैं -

•ऋणात्मक आवेश और धनात्मक आवेश

किंतु ध्यान देने योग्य बात यह है कि धनात्मक और  ऋण आत्मक  केवल  परिपाटी  के लिए हैं यहां ऋण आत्मक का मतलब कम और धनात्मक का मतलब अधिक नहीं होता है।

"धारा का मान 1 एंपियर होने पर एक सेकंड में बहने वाला आवेश की मात्रा 1 कूलाम आवेश के बराबर होती है।"


● विद्युत आवेश के गुण ( vidyut aavesh ke gun)


1. आवेश संरक्षित होता है अर्थात   किसी भी क्रिया में  कुल आवेश हमेशााा संरक्षित रहता है ।

2. जैसाा कि हम सभी जानते हैं कि सापेक्षता सिद्धांत के अनुसार किसी वस्तु का वेट बढ़ाने पर उसका द्रव्यमान भी बहने लगता है किंतु यह गुण आवेश के लिए लागूू नहीं आवेश स्थिर हो या त्वरित उसका मान हमेशा स्थिर रहता है।

3. प्रकृति में सबसे छोटा आवेश 1.6×10^-19 होता है इसे से प्रदर्शित करते हैं। e को 'मूल आवेश' कहते हैं।

4.किसी भी वस्तु या कण का आवेश के पूर्ण गुणज मेंं होता है आवेश के इस गुड को आवेश का क़्वान्तिकरण कहते हैं।

5. चुंबक की भांति ही समान आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित हैं जबकि विपरीत आवेश आकर्षित करते हैं।

6. विद्युत क्षेत्र, चुंबकीय क्षेत्र तथा विद्युुुत चुंबकीय क्षेत्र इन आवेशों के कारण ही उत्पन्न होतेे हैं रेस्ट चार्ज केवल विद्युुत क्षेत्र उत्पन्न कर सकता है जबकि एक समान  रूप से गतिशील आवेश विद्युत तथा चुंबकीय क्षेत्र दोनों उत्पन्न करते हैं और यदि यह गति त्वरित हुई तो विद्युत चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा ।
नोट-

•वैधुत आवेश= धारा×समय
  Q=i×t
• आवेश का SI मात्रक कूलम्ब (C) होता है
• आवेश का सबसे छोटा मात्रक 'स्टेट कूलम्ब (esu)' या फ्रैंकलीन होता है।
1 esu = 3.36×10^ (-10) C
•आवेश का सबसे बड़ा मात्रक फैराडे होता है।
1 फैराडे = 96500C
•इलेक्ट्रॉन पर आवेश -1.6 ×10^-19 कूलाम होता है।
•प्रोटॉन पर आवेश +1.6 ×10^-19 कूलाम्ब होता है।
•कूलाम को से प्रदर्शित करते हैं।
• विद्युत आवेश की विमा [AT] होती है।

● वैधुत बल 

 चूँकि दो आवेशों के मध्य आकर्षक और प्रतिकर्षण पाया जाता है अतः इनके मध्य एक बल भी कार्य करता है जिसे वैद्युत बल कहते हैं । 1785 में वैज्ञानिक चार्ल्स-ऑगस्टिन डी कूलॉम्ब ने प्रयोगों के आधार पर दो आवेशों के बीच कार्य करने वाले बल के संबंध में एक नियम दिया जिसे 'कूलाम का नियम' कहते हैं इसके अनुसार -


"किन्ही दो आवेशों के बीच लगने वाला वैद्युत बल उन आवेशों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है।"
         यदि दो आवेश q1 q2 हो तो उनकेेेेे बीच लगने वाला बल

       q1●--------------------------●q2

           F= q1।× ।q2|
                   r^2
जहां K= नियतांक,
प्रयोगों द्वारा K का मान 8.9×10^9 Nm^2/C^2  आता हैै।
               आशा है आपको यह ब्लॉक पसंद आई होगी मैंने इस ब्लॉग में आपको आवेश क्या है, Aavesh kya hota hai ,उसके  गुणधर्म ,प्रकार वैधुत बल और कुलाम के  नियम आदि टॉपिक्स को आसान से आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है यदि कोई गलती हुई हो तो कृपया कमेंट करें अगले ब्लॉग में हम वैद्युत क्षेत्र क्या है | वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता, वैद्युत विभव, वैद्युत स्थितिज ऊर्जा,समविभव पृष्ठ तथा वैद्युत द्विध्रुव आदि के बारे में  जानेंगे। 

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1 टिप्पणियाँ

  1. Vidyut aavesh bhi do tarah ki urja nhi Hoti hai ek to dhanatmak Jo electron me hoti hai aur dusre runatmak Jo proton me hoti hai. आइंस्टीन के समीकरण के अनुसार पदार्थ और ऊर्जा दोनों एक ही चीज के दो अलग अलग स्वरूप है ।

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