कोरोना : वायरस या एंटीवायरस


पिछले कुछ महीनों से देश में जो आपातकालीन स्थिति पैदा हुई है और कोरोनावायरस से देश में जो डर का माहौल है वह अत्यंत भयावह है| ये तो हुई स्वार्थी मानवों की बात, किंतु हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। नकारात्मक पहलू को देखकर तो आज सभी चिंतित हैं किंतु इसका एक सकारात्मक पहलू भी है। आज मैं उसी सकारात्मक पहलू के बारे में बात करना चाहता हूं |
        
                       इसमें कोई शक नहीं है कि कोरोनावायरस से हमारे देश ही नहीं पूरे विश्व को आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत नुकसान हुआ है, किंतु यदि उसका सबसे ज्यादा फायदा हुआ है तो वह है प्रकृति या यू मान लो कि प्रदूषण को नष्ट करने हेतु प्रकृति ने एक एंटीवायरस के रूप में कोरोना को इंस्टॉल किया है जैसा कि हम किसी कंप्यूटर में वायरस ज्यादा हो जाने पर एंटीवायरस डालते हैं, जिससे वायरस नष्ट होते हैं| प्रकृति का यह एंटीवायरस  बहुत अच्छी तरह से  काम कर रहा है जिससे प्रदूषण खत्म होता नजर आ रहा है| इससे मानव जीवन को और देश को काफी नुकसान हुआ है, किंतु प्रकृति को बहुत फायदा हुआ है| नदियों का पानी पीने लायक हो गया है| हवा में प्रदूषण की मात्रा 0 हो गई है| चांद तारे पृथ्वी से बिल्कुल साफ साफ दिखाई देने लगे हैं| पर्वत भी सैकड़ों किलोमीटर दूर से नजर आने लगे हैं। सांस लेने में ऐसा महसूस होता है की मानो वर्षों बाद ऐसी ताजी हवा में सांस लिया हो| सुबह-सुबह चिड़ियों का चहचहाना सुनाई देने लगा है| कोरोना का यह पहलू कल रात अचानक मेरे दिमाग में तब आया जब मैंने आसमान में चमकते हुए चांद को देखा था| इतना साफ और चमकदार चांद शायद मैंने आज तक नहीं देखा था| लेकिन हे प्रकृति इंसान और देश हार नहीं माना है वह तुम्हें हराने के लिए लगातार प्रयत्न कर रहा है तुम्हारे द्वारा लाए हुए एंटीवायरस के लिए दवाइयां बनाने की कोशिश की जा रही है प्रकृति द्वारा लांच की गई कोरोना नामक एंटीवायरस को हम अवश्य हराएंगे| देश फिर से तरक्की  करेगा| मानव जीवन तरक्की करेगा| एक बार फिर प्रकृति हारेगी| फिर से नदियों का पानी प्रदूषित होगा|  फिर से हवा प्रदूषित होगा| एक बार फिर चांद धुंधला दिखाई देगा| एक बार फिर पर्वत कोसों दूर से दिखाई नहीं देगा| एक बार फिर चिड़ियों का चहचहाना बंद हो जाएगा| 

         इसका अर्थ यह नहीं कि कोरोना को नजरअंदाज करना है किंतु हमें यह प्रण करना होगा कि जिस प्रकार कोरोना को भगाने में हम सभी एकजुट हैं उसी प्रकार हमें अपनी प्रकृति को बचाने के लिये  भी प्रयास करने होंगे।




                  

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